छात्रों के आक्रोश को समझने के बजाये उनकी अभिव्यक्ति को क्रूरता पूर्ण बल पूर्वक दबाने और कुचलने की कोशिश को दुनिया के किसी भी लोकतन्त्र में सही नहीं कहा जा सकता।
छात्रों के लगातार आंदोलन के बाद रेल्वे ने 35,281 पदों पर नौकरियों की घोषणा की थी, जिसमें सवा करोड़ छात्रों ने आवेदन दिया था, तब इसे दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा भी कहा गया था। पहले से घोषित परीक्षा तिथि से करीब साल भर देर से परीक्षा संपन्न हुई थी और फ़िर उसके परिणाम को जारी करवाने के लिए भी छात्रों को कई प्रकार के आंदोलन करने पड़े। अब जब इस परीक्षा के परिणाम में कई प्रकार की त्रुटियाँ सामने आई तो छात्रों को घोर निराशा ही हाथ लगी!
अपने साथ हो रही नाइंसाफी के विरोध में पहले तो छात्रों ने अपनी मांगों से तमाम जिम्मेदार लोगों को अवगत कराया फिर भी उनकी लगातार हो रही अनदेखी से दुखी छात्रों ने बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शन आयोजित किया जिसको स्थानीय पुलिस प्रशासन ने बल पूर्वक गोली, बंदूक, आंसू गैस और लाठि के सहारे दबाने की कोशिश की जिसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए। इन प्रदर्शन के दौरान कई जगहों से हिंसा की ख़बरें भी सामने आ रही हैं जो कि बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है।
एसआईओ सरकार से मांग करती है कि छात्रों की बातों को सुना जाए और इस परीक्षा के परिणाम को वैज्ञानिक पद्धति और पारदर्शी माध्यम से जारी किया जाए जिससे तमाम छात्र संतुष्ट हो सके साथ ही निहत्थे छात्रों पर बर्बरता करने वाले जिम्मेदार पदाधिकारियों पर भी न्यायसंगत कार्रवाई की जाए। साथ ही इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर सभी रिक्त पदों की पूर्ति की जाए।
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